विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर
500 वर्ष तक जो घनघोर जंगल में छुपे रहे
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर, जिसे बुन्देलखण्ड के प्रतापी चंदेल राजाओं ने निर्मित करवाये थे। ये मंदिर साक्षी हंै उनकी विद्वत्ता व कला प्रेम की।
सन् 1315 में चंदेल राजाओं का शासन समाप्त होने के बाद लगभग 500 वर्ष तक ये मंदिर एकांत में मौन खड़े मिट्टी और जंगली वनस्पतियों से भरते गए। जंगली जानवरों का यहां बसेरा हो गया। धीरे-धीरे घनघोर जंगल के बड़े-बड़े वृक्षों से मंदिर ढक गए।
लगभग पांच सौ वर्ष बाद सन् 1838 में एक अंग्रेज अफसर कोे किसी ग्रामीण ने इन मंदिरों के बारे में जानकारी दी, जिससे वह उत्सुक होकर इस ओर आया। जंगल में मिट्टी से सने इन विशाल मंदिरों की भव्यता और अमूल्य शिल्प से आश्चर्यचकित होकर उसने इसकी सूचना पुरातत्व विभाग को दी और यहां बने 85 मंदिरों में से मात्रा 22 मंदिर को ही बचाया जा सका। और आज आठ सौ वर्षो के बाद भी ये मंदिर मानो ऐसे लगते हैं जैसे अभी-अभी बन कर तैयार हुए हैं।
खजुराहो के मंदिर लगभग 20 कि.मी. के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इसे तीन भागों में रखा जा सकता है।
पश्चिम मंदिर समूह-
1. चैसठ योगिनी मंदिर,
2. ब्रह्मा मंदिर,
3. कंदारिया महादेव मंदिर,
4. लक्ष्मण मंदिर,
5. मातंगेश्वर मंदिर,
6. वराह मंदिर,
7. लालगुआ महादेव मंदिर,
8. विश्वनाथ मंदिर,
9. देवी जगदम्बा मंदिर,
10. चित्रागुप्त मंदिर,
11. पार्वती मंदिर,
12. प्रतापेश्वर मंदिर।
चैसठ योगिनी मंदिर को छोड़ कर सब एक दूसरे से कापफी पास-पास हैं।
पूर्व मंदिर समूह-
1. शांतिनाथ मंदिर,
2. आदिनाथ मंदिर,
3. पाश्र्वनाथ मंदिर,
4. घंटाई मंदिर,
5. जवारी मंदिर,
6. वामन मंदिर।
दक्षिण मंदिर समूह-
1. दुलादेव ;महादेवद्ध मंदिर,
2. चतुर्भुई मंदिर।
पश्चिम मंदिर समूह के परिसर में सबसे पहले दर्शन लक्ष्मण मंदिर का होता है। यह विशाल सुन्दरतम मंदिर अब तक पूरी तरह अक्षत है। मंदिर के चबूतरे के चारों ओर की विश्व प्रसिद्ध शिल्प कृतियां पूरी-पूरी हैं।
लक्ष्मण मंदिर के अलावा कंदारिया महादेव मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, जगदम्बा मंदिर आदि भी एक से बढ़कर एक भव्य, विशाल हैं। लक्ष्मण मंदिर के बिल्कुल पास मातंगेश्वर महादेव मंदिर जहां का शिवलिंग अद्भुत है।
इन मंदिरों की विशेषता यह है कि सभी मंदिर दस से बारह फिट उंचे पत्थर के चबूतरों पर बनाए गए हैं। मंदिर निर्माण में पत्थर से पत्थर के जोड़ का प्रयोग हुआ है, जो उत्कृष्ट है। इन के निर्माण की तकनीक को देखकर लगता है कि अतीत में हम कितने उन्नत थे।
मंदिरों के उपरी भाग और शिखर को छोड़ कर शेष पूरे मंदिरों पर मानव आकृति के शिल्प तथा अन्य आकृति उकेरे गए हैं। जिनमें हाथी, घोड़े, उंट, मानव, अप्सरा, देव, गंधर्व आदि हंै। मंदिरों के अंदर बाहर सभी जगहों पर जीवन के लगभग सभी मानवीय भावों के हजारों शिल्प कृतियां हैं, जो बेहद सुन्दर हंै। इन शिल्प कृतियों को देखकर लगता है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, जीवन के चारों भावों का, पुरुषार्थों का हमें दर्शन हो रहा है।
मानवीय भावों को दर्शाती शिल्प कृतियां ऐसी हैं-
ममता,
शिक्षण,शिष्यों को सिखाते हुए गुरु,
श्रम, युद्ध, हाथियों की लड़ाई, युद्धाभ्यास,
श्रृंगार, दर्पण में देखकर मांग भरती नारी, काजल लगाती नारी,
प्रेम, वासना, लज्जा, काम कला,
आनन्द, उल्लास, विनोद, खेल,
भय, दुख, शंका, अहंकार,
विद्वता, भक्ति, ध्यान,
वैराग्य, कमंडलधारी वैरागी और
मोक्ष।
मंदिरों के उपरी भाग और शिखर सभी पर उत्कृष्ट नक्काशी की गयी है, जो अद्भुत हैं।
तभी तो खजुराहो के मंदिरों को विश्व भर में अपने शिल्प के दृष्टिकोण से अद्वितीय माना जाता है।
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