कुछ तो होती है बात,
अपनों का जब होता है साथ,
सब कुछ कितना अच्छा लगता है,
सब कुछ सच्चा सच्चा लगता है।
निर्मल.......,
नदी का है जल।
निर्मल.........,
धरती का है आँचल।
निर्मल स्वर में, जब गायें हम
सब सच्चा सच्चा लगता है।
सब सच्चा सच्चा लगता है।
दूरियाँ अपनों से,
महामारी ने बहुत बढ़ाई।
हृदय में छवि उनकी,
उतनी ही करीब आयी।
निर्मल मन से, स्नेह भरी बातें हों ,
यह सब अच्छा अच्छा लगता है।
छवि अपनों की, मनभावन है,
आँखों में बसंत और सावन है,
यह उल्लास, कितना पावन है।आँखों में बसंत और सावन है,
कल हम कर्मभूमि में उतरेंगे
यह सब कितना अच्छा है, बिल्कुल सच्चा है।।
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