समय चक्र अपनी गति से
नियमित घूमता है।
बारिश के बाद जाड़ा और
जाड़ा के बाद गर्मी आता है।
सूरज पूरब में उगता है और
पश्चिम में अस्त हो जाता है।।
चन्द्रमा प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ता है
पन्द्रहवें दिन वह पूरा चांद पूर्णिमा बन जाता है।
दूसरे ही दिन से वह फिर छोटा होने लगता है
और अगले पन्द्रहवें दिन अमावस्या बन जाता है।
समय चक्र अपनी गति से
नियमित घूमता है।
रंग बिरंगे फूल खिलते हैं।
कोई सफेद तो कोई लाल पीले हैं।
उन पर जो तितलियां आकर बैठती हैं
पंखुड़ियों पर उनकी अद्भुत कलाकारी होेती है।
मधुमक्खियां न मालूम कितनी दूर से आती है
और फूलों की शहद को हर ले जाती हैं।
समय चक्र अपनी गति से
नियमित घूमता है।
मनुष्य का भी घर यही धरती है,
उसके पास बुद्धि व विचार-शक्ति है।
इसी विशेषता के कारण
वह अपने मन की करता है।
हर जीव और वनस्पति
उसकी इच्छा पर जीता है।।
समय चक्र अपनी गति से नियमित घूमता है।
हमें प्रकृति के अनुसार चलने को कहता है।।
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