फूलों से लदी घाटियां,
दर्पण सी दमकती झीलें।
चट्टानों के मध्य टेढ़े-मेढ़े,
बहती जल-धाराएं।।
पथरीली डगर पर,
कलकल बहती नदियां।
रोमांचित कर जाता है,
शैल शिखरों की दृश्य-वलियां।।
सैलानियों को सर्वत्र
मृग मयूरों, हिरणों के झुंड,
देखने को मिलता।
बड़ी-बड़ी गुफाएं
विशाल मंदिरों का दर्शन
उन्हें विस्मित कर देता।।
निर्जन सघन सुंदर वन में,
निर्मल शीत और तप्तकुंड
यत्र-तत्र मिलते रहते।
कलरव करते पक्षी,
और गुनगुनाते बटोही,
आनंद विभोर करते रहते।
यहां प्रकृति नित्य,
पल-पल वेष बदलती है।
अनुपम छटा निहारते,
हर मन मुग्ध होती है।
============
ANUPAM KUMAR SINGH
==========================
No comments:
Post a Comment