Apr 27, 2021



फूलों से लदी घाटियां, 

दर्पण सी दमकती झीलें। 

चट्टानों के मध्य टेढ़े-मेढ़े, 

बहती जल-धाराएं।।



पथरीली डगर पर, 

कलकल बहती नदियां।

रोमांचित कर जाता है,

शैल शिखरों की दृश्य-वलियां।। 


सैलानियों को सर्वत्र 

मृग मयूरों, हिरणों के झुंड, 

देखने को मिलता।

बड़ी-बड़ी गुफाएं 

विशाल मंदिरों का दर्शन 

उन्हें विस्मित कर देता।।


निर्जन सघन सुंदर वन में,

निर्मल शीत और तप्तकुंड 

यत्र-तत्र मिलते रहते।

कलरव करते पक्षी, 

और गुनगुनाते बटोही,

आनंद विभोर करते रहते।


यहां प्रकृति नित्य, 

पल-पल वेष बदलती है। 

अनुपम छटा निहारते,

हर मन मुग्ध होती है।

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ANUPAM KUMAR SINGH

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